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Showing posts from April, 2017

गैस व् बदहजमी दूर करने के लिए उपाय/GAS AUR BADHAZMI KA ILAJ

      गैस व् बदहजमी दूर करने के लिए उपाय यह बड़ी ही सामान्य बात है जिसे हर स्वस्थ आदमी रोजाना अनुभव करता है। फिर भी अगर आपमें गैस काफी मात्रा में बन रही है तो कुछ उपाय भी है। बदहजमी की वजहें: 1.ओवरइटिंग, खाने को सही तरीके से नहीं चबाना… 2.खाना सही तरह से पका न होना… 3.एक्सरसाइज न करना… 4.नींद पूरी न होना… उपाय 1. भोजन हमेशा समय पर करें. 2.प्रतिदिन सुबह देसी शहद में निम्बू रस मिलाकर चाट लें. 3. हींग, लहसुन, चद गुप्पा ये तीनो बूटियाँ पीसकर गोली बनाकर छाँव में सुखा लें, व् प्रतिदिन एक गोली खाएं. 4.भोजन के समय सादे पानी के बजाये अजवायन का उबला पानी प्रयोग करें. 5.लहसुन, जीरा १० ग्राम घी में भुनकर भोजन से पहले खाएं. 6.सौंठ पावडर शहद ये गर्म पानी से खाएं. 7.लौंग का उबला पानी रोजाना पियें. 8. जीरा- जीरा खाने से डायजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसीलिए जब भी आपको गैस की समस्या परेशान करे, एक चम्मच जीरा पाउडर ठंडे पानी में घोलकर पिएं, बहुत लाभ होगा। जीरा, सौंफ, अजवायन इनको सुखाकर पावडर बना लें,शहद के साथ भोजन से पहले प्रयोग...

गुजराती फाफड़ा बनाने की विधि/Fafda Recipe

                   गुजराती फाफड़ा बनाने की विधि सामग्री: बेसन-300 ग्राम, नमक स्वादानुसार, खाना का सोडा-आधा छोटा चम्मच, लाल मिर्च-एक चौथाई छोटा चम्मच, अजवायन- आधा छोटा चम्मच, तेल-2 टेबल स्पून, फाफड़ा तलने के लिए तेल। -: किसी बर्तन में बेसन को छान कर निकाल लीजिए। बेसन में नमक, सोडा, लाल मिर्च, अजवायन और तेल डालिए सारी चीजों को अच्छी तरह मिला लीजिए। गुनगुने पानी से नरम आटा गूंथिए आटे को मसल- मसल कर 6-7 मिनट तक गूंथिए। गुंथे आटे को आधा घंटे के लिए ढककर रख दीजिए। आधा घंटे बाद आटे को अच्छी तरह मसल कर और चिकना कीजिए अब इस आटे की छोटी-छोटी लोई बना लीजिए। फाफड़ा बेलने के लिए लकड़ी का चिकना बोर्ड लीजिए एक लोई को थोड़ा लम्बा कीजिए और बोर्ड के ऊपर हथेली के नीचे रखिए हथेली से दबाब देते हुए फाफड़ा आगे बड़ाइए। पतली पत्ती को बेले हुए फपफड़ा के नीचे लगाते हुए उसे निकालिए। बोर्ड से निकाले गए फाफड़ा को चिकनी थाली में रखिए एक-एक करके सारे फाफड़ा बनाकर थाली में रख लीजिए कढ़ाई में तेल गरम कीजिए गरम तेल में फाफड़ा उठा कर डालिए और पलट- पलट कर हल्के...

गुजराती ढोकला बनाने की विधि /Dhokla Recipe In Hindi

ढोकला बनाने की विधि :- बेसन ढोकला / Besan Dhokla एक गुजराती स्नैक्स / Gujarati Dhokla है. ढोकला / Dhokla स्वास्थ के लिये अच्छा और खाने में भी स्वादिष्ट लगता है. और ढोकला बच्चे से लेकर बड़ो तक सब को पसंद आता हैं तो आइये जाने घर पर ही खमंग ढोकला बनाने की विधि जानते है            ढोकला बनाने की विधि        Dhokla Recipe In Hindi ढोकला बनाने की सामग्री Content to prepare Dhokla :- 1) 400ग्राम बेसन 2) 200 ग्राम सूजी 2) 2 कप दही 3) हरी मिर्ची का पेस्ट 4) अदरक का पेस्ट 5) नमक स्वादानुसार 6) 2 चम्मच सोडा/इनो 7) निम्बू का रस स्वादनुसार 8) 2 चम्मच तेल 9) 2 चम्मच राइ 10) थोड़ी मीठे नीम की पत्तिया 11) धनिया पत्ती 12) 3-4 हरी मिर्च ढोकला की विधि Dhokla Recipe In Hindi :- एक कटोरे में बेसन और सूजी ले और उसमे दही और पानी मिलाये. इस मिश्रण को हाथों से अच्छी तरह मिलाते रहे जब तक की वह मुलायम न हो जाये. उसमे स्वादानुसार नमक मिलाये और 5 -6 घंटो तक ढक कर रख दे. अदरक और हरी मिर्च के पेस्ट को ले और उसे अच्छी तरह मिलाये. उसम...

मालिश के दौरान ध्यान रखने योग्य बाते/Careful during massage

किसी अंग पर तेल लगाकर रगड़ लिया और हो गई मालिश।ये सही नही है। यदि हम मालिश के रहस्य समझकर तथा उसके नियमों का पालन करके मालिश करें तभी मालिश का पूरा-पूरा लाभ उठाया जा सकता है।मालिश करने से न केवल मांसपेशियों में नई ऊर्जा का संचार होने के साथ-साथ उनकी आयु भी बढ़ती है। मालिश करते समय  जरूरी नियमः- 1.एकाग्रता :-एकाग्र मन से मालिश की जाए तो शरीर के बेजान से बेजान भाग को भी जीवित किया जा सकता है। 2.शुद्ध विचार:-शुद्ध विचारों को मन में रखकर मालिश करने से आश्चर्यजनक लाभ उठाया जा सकता है। 3.मालिश का स्थान स्वच्छ और शान्त :-मालिश करने के लिए सबसे पहले मालिश का स्थान स्वच्छ और शान्त होना चाहिए। साथ ही वह स्थान खुला और वहां पर प्रकाश के आने का रास्ता भी होना चाहिए। 4.लिटाकर मालिश:-मालिश रोगी को लिटाकर की जानी चाहिए। रोगी को जमीन पर चटाई, गद्दा आदि बिछाकर या बड़ी मेज आदि पर लिटाकर मालिश करनी चाहिए। मालिश चारपाई आदि पर नहीं करनी चाहिए 5.ढीलेपन की अवस्था:-मालिश करने वाले का शरीर और हाथ-पांव बिल्कुल ढीले होने चाहिए। मालिश करने वाले के हाथ जितने ढीले होगें, रोगी पर उसका उतना ही अच्छा...

डायपर के इस्तेमाल में बरतें सावधानी/precaution in the use of diapers

डायपर के इस्तेमाल में बरतें सावधानी नवजात बच्चें को डायपर या नैपी पहनाने के लिए टिप्स- बदलते जमाने के साथ आया डायपर, जिसने माताओं का यह टेंशन खत्म कर दिया। लेकिन डायपर  के इस्तेमाल को लेकर काफी ध्यान देने की जरूरत है। 13 महीने और 19 महीने के 60 बच्चों के डायपर पहनकर और बिना डायपर पहने चलने की क्षमता की निगरानी की गई। इस दौरान चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। जिन बच्चों ने डायपर पहना था उन्हें बिना डायपर वाले बच्चों की तुलना में चलने में काफी मुश्किलें आईं।क्योंकि आपकी जरा सी लापरवाही आपके बच्चे की सेहत खराब कर सकती है।इसके अलावा 4 महीने से कम उम्र में भी रैशेस होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. डायपर रैश 1.लाल रेशेश का अकार बढ़ता जा रहा है 2.पेशाब करते समय बच्चों को जलन या दर्द का अनुभव होना 3.अलसर, ब्लिस्टर, पिम्पल, बंप, या पस से भरी फुन्सिओं का होना डायपर उपयोग में  बरतें सावधानी 1.सबसे पहले सभी जरूरी सामान तैयार करें। जैसे- एक साफ डायपर, रैशेष (चकत्ते) के लिए क्रिम, गर्म पानी, और रुई या साफ़ सूती का कपड़ा (पोछनें के लिए) 2.बच्चे का डायपर बदलने से प...

घरेलु तरीके से करे फेशियल और फेशियल के फायदे/Facial Karne Ke Tarike or fayde

फेशियल करने का तरीका और फायदे 30 की उम्र से फेशियल जरूर करना चाहिए। इससे त्वचा में रक्त संचार बढ़ता है साथ ही त्वचा में कसाव भी बना रहता है। आप घर भी इसे कर सकते/सकती हैं और बिना पैसे खर्च किये उतने ही अच्छे परिणाम भी पा सकते/सकती हैं। 1. अपने बालों को पीछे अच्छे से बांध ले: - जिससे वे चेहरे पर ना आयें| इसके लिए हेडबैंड, हेयरबैंड,  का प्रयोग करें ताकि आपके बाल और लटें अच्छी तरह से पीछे हो जाएँ और आपका चेहरा अच्छी तरह दिखे । 2. cleaner का उपयोग:-   1. 1 tsp शहद  2.   ½ tsp नीम्बू का रस अब मिलाएं| अब इस मिक्सचर को अपने फेस और गर्दन पर लगायें|या कोई और.इसके  cleanser को कॉटन में लें और उससे अपना फेस अच्छे से साफ़ कर लें| इसके बाद टोवल से अपना फेस पौंछ ले जिससे चेहरे की धुल मिट्टी और एक्स्ट्रा आयल निकल जायेबादाम, जोजोबा, या ओलिव आयल को अपने चेहरे पर लगायें और फिर इसे गुनगुने पानी से गीले किये कपड़े से पोंछ के साफ़ कर दें | चेहरे की नाजुक त्वचा के लिए गुनगुने पानी का तापमान ही सबसे सही होता है | 3. चेहरे पर स्क्रब :-    1.   1 छोटा च...

"लू" लगने का प्रमुख कारण,बचाव / Heat Stroke Causes and Treatment

  "लू" लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने की "शक्ल" में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है। सिर में भारीपन मालूम होने लगता है, नाड़ी की गति बढ़ने लगती है, खून की गति भी तेज हो जाती है। साँस की गति भी ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है। बुखार काफी बढ़ जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है। आँखें भी जलती हैं। लू लगने की समस्‍या पहले से ज्‍यादा बढ़ गई है। लू से बचने के लिए आपके घर में ही कई ऐसी चीजें हैं जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है। लक्षण सिर दर्द होता है और सिर में चक्कर आने लगते हैं। नेत्र लाल वर्ण के हो जाते हैं और तत्पश्चात् जोर का ज्वर चढ़ता है। ज्वर काफी तीव्र होता है, साँस में अभिवृद्धि होती है, हृदय की धड़कन तीव्र होती है, बेचैनी और घबराहट अत्यधिक होती है, श्वांस में भी कठिनाई प्रतीत होती है, मूत्र पुनः आता है यदि तत्कालीन चिकित्सा न की जाय तो सम्भवतः रोगी को बेहोशी हो जाती है। यदि गर्मी का प्रभाव न्यून है, तो ज्वर नहीं होता, नेत्रों के सन्मुख अंधेरा आता है, ज...

पैरों में मोच या खिंचाव आने पर इलाज/ Home Treatment of Leg Sprain

  पैरों में मोच या फिर खिंचाव आने पर इलाज कभी-कभी पैर गड्ढे में आने पर पैर में मोच आ जाती है या चलने-चलते हाथ-पैर मुड़ जाने या चोट लग जाने के कारण मोच आ जाती है। पैरों में मोच या फिर खिंचाव आने पर काफी सूजन और दर्द पैदा हो जाता है। यह कभी भी हो सकता है, चाहे आप खेल-कूद में लीन हो या फिर चलते चलते पैर मुड़ जाए। किचन में रखी हुई सामग्रियां काम आ सकती हैं। मोच आने पर इन नुस्‍खों को आजमाएं और ढेर सारा आराम करें, जिससे आप जल्दी ही ठीक हो सकें। इसके बाद अगर आप ठीक ठाक चल लेते हैं, तो डॉक्टर के पास जाना बिल्‍कुल भी ना भूलें। 1.     आराम करें टखने में अगर मोच आ जाए तो आपको खूब सारा आराम करना चाहिये। अगर आप रोजाना खूब चलते हैं तो कुछ दिनों तक ऐसा ना करें। ऐसे कार्य ना करें जिसमें टखने की मासपेशियां और ऊतकों की जरुरत पड़े। 2. मालिश कभी भी न करें :-मोच खाए या टूटे अंग की मालिश कभी भी न करें। इससे कोई लाभ नहीं होता, बल्कि हानि पहुँच सकती है।     3. बर्फ से सिकाई   यदि मोच लगने के तुरंत बाद ही उस जगह पर बर्फ लगा कर सेकाई की जाए तो उस जगह पर ...

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना, चूरने कीड़े / Bed Wetting

बच्चा बिस्तर में पेशाब करता है – Bistar me peshab  बच्चे रात को सोते हुये बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। पेट में कीड़े होने पर भी बच्चे सोते हुए बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। स्नायु विकृति में शरीर में बहुत ज्यादा उत्तेजना होती है। ऐसे में बच्चा सोते हुए पेशाब करने पर काबू नहीं कर पाता और पेशाब कर देता है। पेशाब की नली में रोग के कारण भी बच्चा सोते हुए पेशाब कर देता है।बच्चे को सोने से 1 घंटा पहले भोजन करा देना चाहिए। बच्चे को सोने के बाद उसे जगाकर कुछ भी खाने और पीने को नहीं देना चाहिए। बच्चे को बिस्तर पर जाने से पहले एक बार पेशाब जरूर करा देना चाहिए।इन परेशानियों में घरेलु नुस्खे बहुत काम आते है। ये बच्चों के रोगों के घरेलु उपाय बड़े उपयोगी साबित होते है। औषधियों से उपचार- 1. आंवला : लगभग 10-10 ग्राम आंवला और काला जीरा लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में इतनी ही मिश्री पीसकर मिला लें। यह 2-2 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ खाने से बच्चे का बिस्तर में पेशाब करना बंद हो जाता है। आंवले को बहुत अच्छी तरह से बारीक पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। यह 3-3 ग्राम चूर्ण र...

केले के गुण/ (Benefits Of banana)

ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। सुबह नाश्ते में यदि एक केला खा लिया जाए तो लंच तक भूख नहीं लगती। केला अगर आप खेल से जुड़े हुए हैं, तो आप केला डाइट में जरूर शामिल करें।पके और कच्चे दोनों प्रकार के केले का उपयोग होता है। पके केले का छिलका निकालकर खाया जाता है और कच्चे केले की सब्जी बनाई जाती है।  केला मधुर, पाचक, वीर्यवर्धक, मांस की वृद्धि करने वाला, भूख-प्यास शांत करने वाला होता है. केले के फूल की भी सब्जी बनाई जाती है। केले की मिठास उसमें मौजूद ग्लूकोज तत्त्व पर आधारित है। केला शरीर को मजबूत और बलवान बनाता है। केला एक ऐसा फल है जो हर मौसम में मिलता है। पका केला रक्तस्राव और प्रदर रोग में लाभकारी होता है। विभिन्न रोगों में उपचार: 1.. चोट या रगड़ लगना: चोट या रगड़ लगने पर केले के छिलके को उस स्थान पर बांधने से सूजन नहीं बढ़ती। पका हुआ केला और गेहूं का आटा पानी में मिलाकर गर्म करके लेप करें। 2.हृदय का दर्द: 2 केले 15 ग्राम शहद के साथ मिलाकर खाने से हृदय का दर्द ठीक होता है। 3.मासिकधर्म सम्बंधी परेशानियां: केले के तने को कुचलकर उसका चार चम्मच रस निकालकर 7-8 दिनों...

जलने से बचाव के प्राथमिक उपचार/ First Aid Treatment in Burn

   जलने से बचाव के प्राथमिक उपचार/ First Aid Treatment in Burn Burn:Symptoms and Treatment गर्म तेल, पानी, दूध अथवा चाय के गिरने या आग की लपटों के पास खड़े होने आदि कारणों से, शरीर की त्वचा जलती तो नहीं है लेकिन लाल जरूर पड़ जाती है। ऐसी स्थिति को झुलसना कहते हैं। झुलस जाने पर कभी-कभी त्वचा पर छाले भी पड़ जाते हैं। जिसके कारण त्वचा भी नष्ट हो जाती है तथा गहरे तन्तुवर्ग को हानि भी पहुंचती है। जलने तथा झुलसने से बचाव 1. कपड़ों में आग लगना- अगर शरीर के कपड़ों में आग लग जाए तो न तो दौड़ना चाहिए और न खड़े ही रहना चाहिए। खड़े रहने से आग की लपटे ऊपर की ओर उठकर मुंह, आंख और सिर को जला सकती है। ऐसी स्थिति में जलने वाले व्यक्ति को तुरंत ही जमी पर लेट जाना चाहिए तथा अपनी आंख, नाक तथा मुंह को दोनों हथेलियों से ढककर खूब लोट लेनी चाहिए। इससे आग के जल्दी बुझने में मदद मिलती है।          सहायक व्यक्तियों को चाहिए कि जिस व्यक्ति के कपड़ों में आग लगी हो, उसके शरीर के ऊपर कम्बल, या जो भी मोटा तथा भारी कपड़ा उपलब्ध हो- डाल दें। इससे बाहरी हवा नहीं लगेगी औ...

मुल्तानी मिट्टी के फायदे/Multani Mitti Ke Fayde

       मुल्तानी मिट्टी के असाधारण प्रयोग मुल्तानी मिट्टी को फुलर की मिट्टी भी कहा जाता है, जो त्वचा के लिए कॉस्मेटिक गुणों से भरपूर होती हैं.मुल्तानी मिट्टी मुंहासे कम करने में मदद करती हैं, क्योंकि इसमें मैग्नीशियम क्लोराइड काफी मात्रा में होता हैं. सबसे सस्ता और कारगर ब्यूटी सॉल्यूशन क्या है तो बिना हिचक के मुलतानी मिट्टी का नाम ले सकते हैं. ये बात हम सभी को पता है कि मुलतानी मिट्टी एक बहुत अच्छा ब्यूटी प्रोडक्ट है लेकिन कम ही लोगों को ये पता होता है कि इसे किस तरह इस्तेमाल करना है.हमारे शरीर के पांच तत्वों में एक है मिटटी।मुल्तानी मिटटी प्रयोग के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है.यह पाकिस्तान के इलाके मुल्तान में बहुतायत से पायी जाती है. यह हलके पीले रंग की एकदम चिकनी होती है. 1-अगर इसे कूट कर हल्दी के साथ मिलकर प्रयोग किया जाए तो झाइयां व् मुहांसे दूर होते हैं और त्वचा कांतिमय बन जाती है. 2- गर्मियों में होने वाली घमौरियों के उपचार में मुल्तानी मिट्टी अचूक औषधि है। 3- शरीर पर इसका पतला-पतला लेप खून की गर्मी को कम करता है। तेज बुखार में तापमान तुरंत ...

होंठो की देखभाल/care of lips

                   वदलते मौसम के कारण  होंठ फटते हैं। सर्द मौसम में होंठ फटने लगते हैं। ऐसे में होंठों की सुंदरता खत्म होने लगती है।गर्मी हो या सर्दी हर मौसम में होंठों को कोई न कोई समस्यां बनी ही रहती हैं। खासकर महिलाएं अपने होठों को खूबसूरत बनाने के‍ लिए कई प्रकार के लिपस्टिक का प्रयोग करती हैं, जिसके कारण होठों की प्राकृतिक सुंदरता समाप्त‍ हो जाती है। होंठ फटने के कारण 1.टमाटर की सॉस , च्युइंग गम , कैंडी आदि में इस्तेमाल होने वाले सिनेमेट्स भी ऐसे तत्व हो सकते है जो होठों के सूखेपन के लिए जिम्मेदार हो सकते है। 2.कमरे में चलने वाले हीटर से भी हवा रूखी हो जाती है जो होंठ फटने का कारण बन सकता है। ऐसे में बचाव नहीं किये जाने से होठ फट जाते है।  3. होंठ के ऊपर जीभ फिराने से लार की एक परत बन जाती है। लार में एमिलेज़ और माल्टीज़ नामक पाचक एंजाइम होते है। ये एंजाइम होठो की पतली और नाजुक परत को नुकसान पहुंचाते है।  4.लार में मौजूद पाचक एंजाइम जैसे एमिलेज़ और माल्टीज़ होठों की पतली परत को ख़राब करते है। जब भी होंठो पर...

गर्भावस्था में देखभाल और सावधानियां/Care In Pregnancy

 हर माँ चाहती है  कि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे।  शिशु का विकास माता के आहार पर निर्भर होता है।  Food and Nutrition Board के अनुसार  को आहार के माधयम से 300 calories अतिरिक्त  गर्भवती  महिला को मिलनी ही चाहिए। यानि सामान्य महिला कि अपेक्षा गर्भवती महिला को 2400 calories प्राप्त हो इतना आहार लेना चाहिए और विविध Vitamins, Minerals अधिक मात्रा में प्राप्त करना चाहिए। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी  high risk pregnancy  – हाई रिस्क प्रेग्नेंसी अर्थात गर्भावस्था के दौरान पैदा हो सकने वाला संभावित अत्यधिक खतरा ।जो महिलाएं गर्भवती है  उनके लिए कुछ आवश्यक कदम उठा पायें ।हम आपसे इस बारे में जानकारी शेयर कर रहे है कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की नौबत कब और कैसे तथा किन हालत में आ सकती है । हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के कारण:- 1.अगर प्रेग्नेंट महिला की उम्र अठारह वर्ष से कम है। 2.प्रेग्नेंट महिला की उम्र 35-40 के बीच है । 3. गर्भवती महिला मोटापे की शिकार है।  4. गर्भवती महिला एनिमियां यानि की खून की कमी की समस्या हो तो  जरुरी पोषक ...

लहसुन के फायदे (Benefits Of Garlic)

लहसुन के फायदे (Be nefits Of Garlic) लहसुन (Garlic) केवल खाने में इस्तेमाल होने वाला एक पदार्थ नहीं है, बल्कि यह एक गुणकारी दवा है। उससे जुकाम, फ्लू, रक्तचाप, कैंसर से बचाव के गुण पाए जाते हैं।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है । 1. 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है। 2.लहसुन  (Garlic)  की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।इसमें मौजूद एलिसिन नामक तत्व हाई बीपी को सामान्य करने में मददगार है। 3.लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह ...