"लू" लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने की "शक्ल" में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है। सिर में भारीपन मालूम होने लगता है, नाड़ी की गति बढ़ने लगती है, खून की गति भी तेज हो जाती है। साँस की गति भी ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है। बुखार काफी बढ़ जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है। आँखें भी जलती हैं। लू लगने की समस्या पहले से ज्यादा बढ़ गई है। लू से बचने के लिए आपके घर में ही कई ऐसी चीजें हैं जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
लक्षण
सिर दर्द होता है और सिर में चक्कर आने लगते हैं। नेत्र लाल वर्ण के हो जाते हैं और तत्पश्चात् जोर का ज्वर चढ़ता है। ज्वर काफी तीव्र होता है, साँस में अभिवृद्धि होती है, हृदय की धड़कन तीव्र होती है, बेचैनी और घबराहट अत्यधिक होती है, श्वांस में भी कठिनाई प्रतीत होती है, मूत्र पुनः आता है यदि तत्कालीन चिकित्सा न की जाय तो सम्भवतः रोगी को बेहोशी हो जाती है। यदि गर्मी का प्रभाव न्यून है, तो ज्वर नहीं होता, नेत्रों के सन्मुख अंधेरा आता है, जी मिचलाता है, वमन या उल्टी होती है, नेत्रों की पुतलियाँ फैल जाती हैं और रोगी निर्बलता से आक्रांत हो जाता है। किसी-किसी को खूब पसीना आता है तथा दम फूल जाता है।
लू से बचने के उपाय
1.गाय के ताजे दही में ठण्डा पानी मिला कर लस्सी बना कर पिलाइये
2.लू से बचने के लिए दोपहर के समय बाहर नहीं निकलना चाहिए। अगर बाहर जाना ही पड़े तो सिर व गर्दन को तौलिए या अंगोछे से ढँक लेना चाहिए। अंगोछा इस तरह बाँधा जाए कि दोनों कान भी पूरी तरह ढँक जाएँ। आप गर्मी के दिनों में नंगे सिर और धूप में न फिरें, या छतरी का प्रयोग करते रहें तो लू का प्रभाव न होगा। काले रंग का कपड़ा पहिन कर मत निकलिये।
3.गर्मी के दिनों में हल्का व शीघ्र पचने वाला भोजन करना चाहिए। बाहर जाते समय खाली पेट नहीं जाना चाहिए।
4.गर्मी के दिनों में बार-बार पानी पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में जलीयांश की कमी नहीं होने पाए। पानी में नींबू व नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीते रहने से लू नहीं लगती।
5.शरबत फालसा भी ठण्डा उपयोगी है। फालसे के शरबत से वमन, प्यास और उल्टी सभी को बहुत लाभ होता है।
6.गर्मी के दौरान नरम, मुलायम, सूती कपड़े पहनना चाहिए जिससे हवा और कपड़े शरीर के पसीने को सोखते रहते हैं।
7.गर्मी में ठंडाई का सेवन नियमित करना चाहिए। मौसमी फलों का सेवन भी लाभदायक रहता है जैसे, खरबूजा, तरबूज, अंगूर इत्यादि।
8.प्रतिदिन प्रातः सायं ठण्डे जल से स्नान किया कीजिये। प्रातः काल या दोपहर में ठण्डी छाछ, दही या लस्सी पिया कीजिये।
9.गर्मी के दिनों में प्याज का सेवन भी अधिक करना चाहिए एवं बाहर जाते समय कटे प्याज को जेब में रखना चाहिए।
10.बाहर से आने के बाद तुरंत पानी नहीं पीएं। जब आपके शरीर का तापमान सामान्य हो जाए तभी पानी पीएं।
लू लगने पर क्या करें
1.लू लगने पर तत्काल योग्य डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने के पूर्व कुछ प्राथमिक उपचार करने पर भी लू के रोगी को राहत महसूस होने लगती है।
2.बुखार तेज होने पर रोगी को ठंडी खुली हवा में आराम करवाना चाहिए।
3.इमली के बीज को पीसकर उसे पानी में घोलकर कपड़े से छान लें। इस पानी में शकर शक्कर मिलाकर पीने से लू से बचा जा सकता है।
4.104 डिग्री से अधिक बुखार होने पर बर्फ की पट्टी सिर पर रखना चाहिए।
5.रोगी को तुरंत प्याज का रस शहद में मिलाकर देना चाहिए।
6.प्यास बुझाने के लिए नींबू के रस में मिट्टी के घड़े अथवा सुराही के पानी का सेवन करवाना चाहिए। बर्फ का पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि इससे लाभ के बजाए हानि हो सकती है।
7.रोगी के शरीर को दिन में चार-पाँच बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए।
8.आँवले का मुरब्बा चाँदी के वरक में लपेट कर खाया करें।
9.जरा सा धनिया पानी में ठण्डाई की तरह पीस कर मिसरी से मीठा करके पिलाने से लाभ होता है।
10.चाय-कॉफी आदि गर्म पेय का सेवन अत्यंत कम कर देना चाहिए।
11.कैरी का पना विशेष लाभदायक होता है। कच्चे आम को गरम राख पर मंद आँच वाले अंगारे में भुनकर, ठंडा होने पर उसका गूदा निकालकर उसमें पानी मिलाकर मसलना चाहिए। इसमें जीरा, धनिया, शकर, नमक, कालीमिर्च डालकर पना बनाना चाहिए। पने को लू के रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में दिया जाना चाहिए।
12.जौ का आटा व पिसा प्याज मिलाकर शरीर पर लेप करें तो लू से तुरंत राहत मिलती है।
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