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गुर्दों( किडनी) की देखभाल/How To Care Kidney



किडनी(गुर्दों) की देखभाल


फ़ास्ट फ़ूड के रूप में  चीज़ों को खाना, कैफीन जैसे उत्तेजक पेय पदार्थों को पीना और पार्टी करने की जीवनशैली को हम मनुष्यों ने अपने जीवन को जीने का तरीका बना लिया है और हमारे सिस्टम में इस सभी चीज़ों से निकलने वाले टॉक्सिन को वास्तव में सहन कौन करता है ? 
एक जोड़ी बीन (bean) के आकार का अंग जो एब्डोमिन कैविटी (abdominal cavity) के एक-एक किनारे पर स्थित होता है, जिन्हें किडनी कहते हैं। ये दिन-रात काम करती हैं, चौबीसों घंटे इन हानिकारक टॉक्सिन को फ़िल्टर करते रहते हैं। जब इन टॉक्सिन का लोड बहुत ज्यादा हो जाता है तो इसको सहन करने वाले इस अंग की अर्थात् किडनी की काम करने की क्षमता कम हो जाती है जिससे किडनी स्टोन, संक्रमण, सिस्ट, ट्यूमर होने की सम्भावना बढ़ जाती है और अंततः किडनी अपना काम करना बंद कर देती है। 

किडनी(गुर्दों) स्टोन के लक्षणों को जानें: हर 20 में से एक व्यक्ति को अपने जीवन के किसी न किसी बिंदु पर किडनी स्टोन का सामना करता है और इसकी सम्भावना आपको भी हो सकती है | अगर आपको इनमे से कोई भी लक्षण अनुभव हों तो तुरंत जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाएँ।

1.पेट के निचले हिस्से और पीठ में, पसलियों के नीचे की ओर दर्द होना। यह दर्द पेट के निचले हिस्से और दोनों जांघों के बीच के हिस्से तक फ़ैल सकता है। इसमें दर्द एक लहर की तरह और तेज़ी के साथ होता है।

2 .गुलाबी, लाल या ब्राउन रंग का मूत्र, जो धुंधला और दुर्गन्ध युक्त होता है। मितली, उल्टियाँ और कंपकपी।

3. किडनी के होने से शरीर से गंद तथा पेशाब बाहर निकलते हैं। जब ऐसा नहीं हो पाता तो किडनी में भरे हुए गंद के कारण आपके हाथ, पैर, टखना एवं चेहरा सूज जाता है।

4. इस अवस्था में मूत्र का रंग गाढ़ा हो जाता है या फिर मूत्र की मात्रा या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है। इसके अलावा बार-बार मूत्र होने का एहसास होता है मगर करने पर नहीं होता है। इसके अन्य लक्षणों में मूत्र त्याग करने के वक्त दर्द, दबाव और जलन जैसा अनुभव होता हो।

5.जब मूत्र में रक्त आने लगे या फिर झाग जैसा मूत्र आए तो बिना सोचे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह किडनी के खराब होने का निश्चित ही संकेत होता है।


प्राकृतिक उपचारों की सीमा को समझें: किडनी की गंभीर समस्याओं में सर्जरी, प्रिस्क्रिप्शन, या डायलिसिस की ज़रूरत हो सकती है। अगर आप एक पीड़ादायक या गंभीर स्थिति के उपचार के लिए किडनी को डिटॉक्स करने की कोशिश कर रहे हों तो किसी भी रेडिकल डाइट या सप्लीमेंट को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें।






किडनी की देखभाल करने के तरीके


1.ज्यादा से ज्यादा पानी पियें  प्राकृतिक, साफ़ पानी ज्यादा से ज्यादा पियें ।हर दिन 10-12 गिलास पानी पीने से जमा हुए टोक्सिंस को फ़िल्टर करके बाहर निकालने में मदद मिलती है इसका सबसे अच्छा संकेत है, साफ़ मूत्र निकलना जिसमे बहुत तेज़ गंध न हो ।अगर मूत्र का रंग हलके पीले से बहुत ज्यादा गहरा हो तो इसका मतलब यह है की मूत्र बहुत सान्द्र या गाढ़ा है । साफ़ मूत्र का निकलना साफ़ फ़िल्टरिंग सिस्टम को दर्शाता है। केवल शुद्ध जल ही किडनी की मदद को प्रमाणित करता है।

2.खूब सारे फल खाएं: पोटैशियम से भरपूर फल और सब्जियां किडनी को साफ़ करने में मदद करते हैं ।साइट्रस फल जैसे अंगूर, संतरे, केंटालोप (cantaloupe), केला, कीवी, अखरोट, खूबानी ये सभी पोटैशियम के उम्दा स्त्रोत हैं ।
दूध और दही भी पोटैशियम के अच्छे स्त्रोत हैं ।इन फलों को अपनी रोज़ की डाइट में शामिल करने से रक्त में इलेक्ट्रोलाइट के लेवल को बनाये रखने में मदद मिलती है जिससे किडनी अच्छी तरह से काम कर पाती है ।एक गिलास अंगूर का रस प्रतिदिन सुबह या दोपहर में पीना, अतिरिक्त यूरिक एसिड (किडनी का एक सह उत्पाद) के निर्माण को साफ़ करके बाहर निकालने के लिए जाना जाता है ।जिन लोगों को किडनी की परेशानी जैसे किडनी फेलियर हो, उन्हें बहुत अधिक पोटैशियम नहीं लेना चाहिए ।

3.बेरीज: बेरीज जैसे क्रैनबेरी, ब्लैकबेरी या जामुन किडनी को साफ़ करने में मदद करती हैं ।हिप्पुरिक एसिड किडनी में यूरिया और यूरिक एसिड की अधिकता को साफ़ करता है ।हर दिन एक कप क्रैनबेरी या जामुन का रस किडनी को साफ़ रखने के लिए काफी होता है ।

4.जौ या बार्ली : एक बेहतरीन अनाज है जिसका उपयोग किडनी को साफ़ करने के साथ ही अनियंत्रित डायबिटीज के कारण किडनी में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए भी किया जाता है ।याद रखें, बार्ली किडनी का इलाज़ नहीं करता बल्कि अन्य विधियों के समायोजन के साथ किडनी के कार्यों को सुचारू बनाये रखता है ।बार्ली के उपयोग को बढाने का एक और उपाय है, रात में एक मुट्ठी बार्ली को पानी में भिगो दें और सुबह सबसे पहले उसके पानी को पियें ।यह किडनी के टोक्सिन के निर्माण को साफ़ करता है और किडनी की मरम्मत करता है ।

5.गोखरू(Gokshura): 
 यह मूत्र प्रणाली को सशक्त कर उसे हर विकार से बचाता है। यह मूत्रवर्धक प्रभावक है और पेशाब में जलन व पेशाब करते हुए दर्द से मुक्ति दिलाता है। यह मूत्र पथ के संक्रमण (urinary tract infections), मूत्राशयशोध (cystitis), मूत्र पथरी (urinary calculi), पथरी (kidney stones) आदि मूत्र प्रणाली विकारों में बहुत ही लाभदायक है। यह मूत्राशय एवं गुर्दों को साफ कर सारें विकारों को दूर भगाता है तथा मूत्रबाधक का विनाश कर मूत्र के प्रवाह को नियमित करता है। गोक्षुर पौरुष ग्रंथि के लिए भी लाभकारी है। यह बड़े हुए पौरुष ग्रंथि को सही कर मूत्र में आई बाधा को मिटाता है।


6.वैकल्पिक दवाएं लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से बात करें: 


7. किडनी गुर्दों की गंभीर समस्याओं के लिए चिकित्सीय उपचार लें: प्राकृतिक डिटॉक्सीफिकेशन आपके शरीर को शक्ति देने और किडनी की छोटी-मोटी क्षति को ठीक करने के लिए प्रभावशाली हो सकती है ।परन्तु, किडनी स्टोन, संक्रमण, ट्यूमर या सिस्ट जैसी गंभीर स्थितियों से पीड़ित होने पर प्राकृतिक उपचारों से कोई लाभ नहीं मिल पाता । विशेषरूप से गंभीर केसेस में किडनी के ठीक तरह से काम न करने पर अंग काम करना बंद कर सकते हैं और सिस्टम बंद हो सकते हैं | सचेत रहें और स्थिति को जल्दी पहचानें ।



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जब आप अपनी किडनी को डिटॉक्सिफाय करें तब दो बातों का ध्यान रखें: हाई प्रोटीन डाइट लेने से बचें और खूब सारा पानी पियें ।



Kidney(गुर्दों) के प्रभावित होने पर क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?


1.ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की दवाएं नियमित लें।
2.डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई भी दवा खासतौर पर पेनकिलर आदि न लें। वजन नियंत्रित रखें।
3.धूम्रपान, तंबाकू व शराब आदि से दूरी बनाएं।
4.नमक, तेल और घी का अधिक मात्रा में प्रयोग न करें। 
5.ब्रेड, बिस्किट सीमित मात्रा में खाएं क्योंकि ये एक प्रकार के रिफाइंड वीट होते हैं जो ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ाते हैं। इसके अलावा नमकीन से भी परहेज करना चाहिए।
6.भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम रखें। हफ्ते में दालें एक से दो बार ही खाएं व मांसाहार से परहेज करें।
7.फल, जूस व पानी की मात्रा डॉक्टर के परामर्श अनुसार लें।
8.जिनकी बीमारी अधिक बढ़ चुकी है, उन्हें डायलिसिस या प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।


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