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डायपर के इस्तेमाल में बरतें सावधानी/precaution in the use of diapers









डायपर के इस्तेमाल में बरतें सावधानी


नवजात बच्चें को डायपर या नैपी पहनाने के लिए टिप्स-
बदलते जमाने के साथ आया डायपर, जिसने माताओं का यह टेंशन खत्म कर दिया। लेकिन डायपर  के इस्तेमाल को लेकर काफी ध्यान देने की जरूरत है। 13 महीने और 19 महीने के 60 बच्चों के डायपर पहनकर और बिना डायपर पहने चलने की क्षमता की निगरानी की गई। इस दौरान चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। जिन बच्चों ने डायपर पहना था उन्हें बिना डायपर वाले बच्चों की तुलना में चलने में काफी मुश्किलें आईं।क्योंकि आपकी जरा सी लापरवाही आपके बच्चे की सेहत खराब कर सकती है।इसके अलावा 4 महीने से कम उम्र में भी रैशेस होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है.

डायपर रैश



1.लाल रेशेश का अकार बढ़ता जा रहा है
2.पेशाब करते समय बच्चों को जलन या दर्द का अनुभव होना
3.अलसर, ब्लिस्टर, पिम्पल, बंप, या पस से भरी फुन्सिओं का होना


डायपर उपयोग में बरतें सावधानी


1.सबसे पहले सभी जरूरी सामान तैयार करें। जैसे- एक साफ डायपर, रैशेष (चकत्ते) के लिए क्रिम, गर्म पानी, और रुई या साफ़ सूती का कपड़ा (पोछनें के लिए)

2.बच्चे का डायपर बदलने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें।

3.अपने बच्चे का गन्दा डायपर निकालें। इसके बाहर आने के बाद बच्चे से  इसका लम्बे समय तक कॉन्टेक्ट में बने रहना बच्चे को बीमार बना सकता है।

4.यदि वह गीला है तो, अपने बच्चे को पीठ के बल लिटाएं और डायपर निकालें और पानी से अपने बच्चे के जननांग क्षेत्र को साफ़ करें। यदि कोई चकत्ते दिखे तो, उस पर थोड़ा मरहम लगाएं।

5.डायपर से होने वाली एलर्जी से बचने के लिए नारियल का  तेल या डायपर रेशेस क्रीम का प्रयोगकर सकते है।


6.साफ़ और ,सूती वस्त्र से ही बच्चे को पोछे क्योंकि  बच्चे की त्वचा बहुत ही मुलायम और नाजुक होती इसके बाद बच्चों के नितंबों को कुछ देर के लिए हवा में सूखने दें। इससे उसे डायपर रैशेज नहीं पड़ेंगे।

7.यदि रात में उसे डायपर पहना कर सुलाया हो तो हर दो घंटे बाद जांच करनी चाहिए

8.जिन बच्चों की त्वचा संवेदनशील होती है उनके डायपर रैश होने की संभावना भी ज्यादा होती है


9.ध्यान रहे डायपर को ज्यादा टाइट न बांधें।ढीले डायपर पहनाएँ जिससे कि हवा का प्रवाह बना रहे।

10.सुगंधित पाउडर (फ़ेफड़ों में जा सकता है) या कॉर्न स्टार्च (यीस्ट संक्रमण को और खराब कर सकता है) का उपयोग न करें।

11.डायपर से होने वाले चकत्तों (रैशेज) से बचने के लिए, जैसे ही बच्चा मल त्याग करें तुरंत ही बच्चे का डायपर बदलें, और साबुन व पानी का उपयोग करते हुए बच्चे की सफाई करें।

12डायपर में बच्चों के पैरों के बीच अधिक दूरी होती है इस वजह से उनकी चाल बिगड़ सकती है।'

13.गीले डायपर से बच्चे को कई प्रकार की त्वचा की बीमारियां हो जाती हैं क्योंकि पेशाब में यूरिया, एसिड एवं अमोनिया आदि होते हैं
यदि इसके बाद भी डायपर रैश ठीक नहीं होते हैं, तो त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।

डायपर रैश का इलाज

1.विनेगर: अगर आप कोई सूती कपड़ा या डायपर इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे विनेगर के सलूशन में भीगा लें .(आधे बाल्टी पानी में आधा कप विनेगर का मिश्रण). अगर आप डिस्पोजेबल डायपर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो बेबी के डायपर एरिया को विनेगर के हलके सलूशन से साफ़ करना न भूलें .इससे यीस्ट इन्फेक्शन नहीं होता है .

2.कॉर्नस्टार्च :  बेबी के निचले हिस्से को गर्म पानी से धोएं .इसके बाद सूखने के बाद वहां कॉर्नस्टार्च अप्लाई करें और फिर उसे सूखने के लिए हवा में छोड़ दें .इस प्रक्रिया को हर बार दोहरायें जब भी आप बच्चे का डायपर बदलते हैं .

3.बेकिंग सोडा : 4 कप पानी में 2 चम्मच बेकिंग सोडा डालें और इस मिश्रण से बच्चे के शरीर के निचले हिस्से को साफ़ करें .डायपर रैश के इलाज के लिए अच्छा होता है

4.पेट्रोलियम जेली: एक बार आप बच्चे के डायपर एरिया को गर्म पानी और सूखे कपडे से साफ़ कर दें तो आप उसपर पेट्रोलियम जेली लगा सकते हैं . इस प्रक्रिया को बेबी को नहाने के बाद हर बार दोहरायें .



आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए 

1.रैश के आस पास पिम्पल हैं या ब्लिस्टर है
2.बच्चे को बुखार है
3. बच्चे का वजन अचानक घटने लगा है तो
4.बच्चे में रैशेस उसकी पैर तक फैलने लगा है
5.बच्चे के रैशेस एक हफ्ते के भीतर ठीक नहीं होते

विशेषज्ञों का मानना है कि डायपर पहनने के बाद बच्चा खुलकर टॉयलेट नहीं कर पाता है। हालांकि अगर आप घर से बाहर हैं तो आप डायपर का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन अगर घर पर हैं तो बच्चे को डायपर पहनाने से बचें।

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